मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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रात...प्रकृति...छंदमुक्त कविता
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Friday, 7 June 2019
रात
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अक्सर जब शाम की डोली थके हुये घटाओं के शानों से उतरती है छनकती चाँदनी की पाजेब से टूटकर घुँघरू ख़्वाबों के आँगन बिखरती है ...
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