मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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रात.....प्रकृति कविता
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Saturday, 25 November 2017
रात
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सर्द रात के नम आँचल पर धुँध में लिपटा तन्हा चाँद जाने किस ख़्याल में गुम है झीनी चादर बिखरी चाँदनी लगता है किसी क...
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