मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Thursday, 29 March 2018
राष्ट्रधर्म
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धर्म के नाम पर कराह रही इंसानियत राम,अल्लाह मौन है शोर मचाये हैवानियत धर्म के नाम पर इंसानों का बहिष्कार है मज़हबी नार...
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