मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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लय मन के..छंदमुक्त कविता...प्रकृति मन#
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Wednesday, 9 December 2020
लय मन के स्फुरण की
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पकड़ती हूँ कसकर उम्र की उंगलियों में और फेंक देती हूँ गहरे समंदर में ज़िंदगी के जाल एक खाली इच्छाओं से बुनी.. तलाश में कुछ खुशियों की। भा...
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