मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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वह उदास औरत.....छंदमुक्त कविता..स्त्री
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Thursday, 25 June 2020
वह उदास औरत
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चित्र : मनस्वी प्राजंल अंधेरे मुँह बेआवाज़ उठकर ठंडी बालकनी में पाँव सिकोड़े मूढ़े पर बुत-सी बैठी दूर तक पसरी नीरवता, गहन अंध...
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