मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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विरहिणी/वसंत.....छंदमुक्त प्रकृति कविता
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Sunday, 23 February 2020
विरहिणी/वसंत
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सूनी रात के अंतिम प्रहर एक-एककर झरते वृक्षों से विलग होकर गली में बिछे, सूखे पत्रों को सहलाती पुरवाई ने उदास ड्योढ़ी को स...
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