मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Tuesday, 1 October 2019
वृद्ध
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चित्र साभार: सुबोध सर की वॉल से वृद्ध ---- बुझती उमर की तीलियाँ बची ज़िंदगी सुलगाता हूँ देह की गहरी लकीरें तन्हाई में सहलात...
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