मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
वक़्त के अजायबघर में....छंदमुक्त कविता# विपरीत परिस्थिति#सकरात्मकता#
.
Show all posts
Showing posts with label
वक़्त के अजायबघर में....छंदमुक्त कविता# विपरीत परिस्थिति#सकरात्मकता#
.
Show all posts
Sunday, 18 April 2021
वक़्त के अजायबघर में
›
वक़्त के अजायबघर में अतीत और वर्तमान प्रदर्शनी में साथ लगाये गये हैं- ऐसे वक़्त में जब नब्ज़ ज़िंदगी की टटोलने पर मिलती नहीं, साँसें डरी-सहमी ह...
24 comments:
›
Home
View web version