मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
शरद पूर्णिमा... कविता
.
Show all posts
Showing posts with label
शरद पूर्णिमा... कविता
.
Show all posts
Tuesday, 23 October 2018
शरद पूर्णिमा
›
रिमझिम-रिमझिम बरसी चाँदनी, तन-मन,रून-झुन, बजे रागिनी। पटल नील नभ श्वेत नीलोफर, किरण जड़ित है शारद हासिनी। परिमल श्यामल कुंतल बा...
16 comments:
›
Home
View web version