मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
संस्कार संक्रमण... छंदयुक्त कविता
.
Show all posts
Showing posts with label
संस्कार संक्रमण... छंदयुक्त कविता
.
Show all posts
Thursday, 21 November 2019
संस्कार संक्रमण
›
हाय! हम क्यों नहीं सोच रहे? अपने भविष्य की सीढ़ियों को अपने आने वाली पीढियों को कैसी धरोहर हम सौंप रहे? धर्म और शिक्षा में रा...
24 comments:
›
Home
View web version