मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Sunday, 18 June 2017
मेरी बिटिया के पापा
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कल रात को अचानक नींद खुल गयी, बेड पर तुम्हें न पाकर मिचमिचाते आँखों से सिरहाने रखा फोन टटोलने कर टाईम देखा तो 1:45 a.m हो रहे थे।बेडरूम क...
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