मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
समय का आलाप....छंदमुक्त कविता # शरद ऋतु
.
Show all posts
Showing posts with label
समय का आलाप....छंदमुक्त कविता # शरद ऋतु
.
Show all posts
Thursday, 16 December 2021
समय का आलाप
›
शरद में अनगिनत फूलों का रंग निचोड़कर बदन पर नरम शॉल की तरह लपेटकर ओस में भीगी भोर की नशीली धूप सेकती वसुधा, अपने तन पर फूटी तीसी की नाजुक न...
13 comments:
›
Home
View web version