मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
सरहद....छंदमुक्त कविता
.
Show all posts
Showing posts with label
सरहद....छंदमुक्त कविता
.
Show all posts
Sunday, 28 June 2020
सरहद
›
धरती के मानचित्र पर खींची गयी सूक्ष्म रेखाओं के उलझे महीन जाल, मूक और निर्जीव प्रतीत होती अदृश्य रूप से उपस्थित जटिल भौग...
26 comments:
›
Home
View web version