मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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साक्षात्कार... सामाजिक छंदमुक्त कविता..सृष्टि
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Thursday, 10 October 2019
सृष्टि
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प्रसूति-विभाग के भीतर-बाहर साधारण-सा दृष्टिगोचर असाधारण संसार पीड़ा में कराहते अनगिनत भावों से बनते-बिगड़ते, चेहरों की भीड़ ...
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