मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Sunday, 17 September 2017
साथ तुम्हारे हूँ
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निर्मल,कोमल, उर प्रीत भरी हूँ वीतरागी,शशि शीत भरी, मैं पल पल साथ तुम्हारे हूँ। रविपूंजों की जलती ज्वाला ले लूँ आँचल में,छाँव करू...
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