मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Wednesday, 16 January 2019
समानता
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देह की परिधियों तक सीमित कर स्त्री की परिभाषा है नारेबाजी समानता की। दस हो या पचास कोख का सृजन उसी रजस्वला काल ...
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