मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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सीख क्यों न पाया? छंदमुक्त कविता सामाजिक
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सीख क्यों न पाया? छंदमुक्त कविता सामाजिक
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Saturday, 28 November 2020
सीख क्यों न पाया?
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सृष्टि के प्रारंभ से ही ब्रह्मांड के कणों में घुली हुई नश्वर-अनश्वर कणों की संरचना के अनसुलझे गूढ़ रहस्यों की पहेलियों की अनदेखी कर ज्ञा...
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