मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Friday, 1 February 2019
सुन...
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नक़्श आँगन के अजनबी,कहें सदायें सुन हब्स रेज़ा-रेज़ा पसरा,सीली हैं हवायें सुन धड़कन-फड़कन,आहट,आहें दीद-ए-नमनाक दिल के अफ़सानें में...
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