मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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सूरज.....प्रकृति कविता
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Friday, 8 December 2017
सूरज
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भोर की अलगनी पर लटके घटाओं से निकल बूँदें झटके स्वर्ण रथ पर होकर सवार भोर का संजीवन लाता सूरज झुरमुटों की ओट से झाँकता चिड़ि...
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