मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Tuesday, 3 October 2017
एक थी सोमवारी
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चित्र साभार गूगल सुबह सुबह अलार्म की आवाज़ सुनकर अलसायी मैं मन ही मन बड़बड़ायी उठ कर बैठ गयी। ऊँघती जम्हाईयाँ लेती अधमूँदी आँखों से बेडर...
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