मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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स्वर खो देती हूँ....तुकांत कविता
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स्वर खो देती हूँ....तुकांत कविता
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Saturday, 1 September 2018
स्वर खो देती हूँ
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पग-पग के अवरोधों से मैं घबराकर रो देती हूँ झंझावातों से डर-डरकर समय बहुमूल्य खो देती हूँ संसृति की मायावी भँवरों में सुख-दु...
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