मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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ज़िंदगी.... लयबद्ध कविता
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Friday, 7 April 2017
ज़िदगी
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बहाना ढ़ूँढ़ लो तुम हँसने और हँसाने का मुट्ठीभर साँसों को क्यों गम में गँवाने का अगर मुमकिन नहीं आसमां में उड़ पाना हौसला रखो फ़लक ही जमी...
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