मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Friday, 10 March 2017
आँख में पानी रखो
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आँख में थोड़ा पानी होठों पे चिंगारी रखो ज़िदा रहने को ज़िदादिली बहुत सारी रखो राह में मिलेगे रोड़े,पत्थर और काँटें भी बहुत सामना कर हर ब...
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Tuesday, 21 February 2017
ब्लॉग की सालगिरह.... चाँद की किरणें
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सालभर बीत गये कैसे...पता ही न चला। हाँ आज ही के दिन १६फरवरी२००१७ को पहली बार ब्लॉग पर लिखना शुरु किये थे। कुछ पता नहीं था ब्लॉग के बारे ...
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धागा चाँदनी का
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तोड़कर धागा चाँदनी के टूटे ख्वाबों को सी लूँ भरकर चाँद का एक कोना दर्द सारे आँखों से पी लूँ सर्द हवाएँ जो तुमको छू आयी आगोश भर एहसा...
ढूँढ़ने चले हैं
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लिखकर तहरीरें खत में तेरा पता ढूँढ़ने चले है कभी तो तुमसे जा मिले वो रास्ता ढ़ूँढ़ने चले है सफर का सिलसिला बिन मंजिलों का हो गया तुम न...
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पलाश
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पिघल रही सर्दियाँ झरते वृक्षों के पात निर्जन वन के दामन में खिलने लगे पलाश सुंदरता बिखरी चहुँओर चटख रंग उतरे घर आँगन उमंग की चली फ...
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Monday, 20 February 2017
वजह
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उदास रात के दामन मेंं बिसूरती चाँदनी खामोश मंजर पसरा है मातमी सन्नाटा ठंडी छत पर सर्द किरणें बर्फीला एहसास कुहासे जैसे घने ब...
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Saturday, 18 February 2017
ऐ दिल,चल तू संग मेरे
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ऐ दिल,तू चल संग मेरे मेरे ख्यालों के हसीन दुनिया में... जहाँ हूँ मैं और तुम हो उस हसीन दुनिया मे जाड़ों की नरम धूप सी ओढ़कर तेर...
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Friday, 17 February 2017
तुम्हारी सदा
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तन्हाई में बिखरी खुशबू ए हिना तेरी है वीरान खामोशियों से आती सदा तेरी है टपक टपक कर भरता गया दामन मेरा फिर भी खुशियों की माँग रहे दुआ...
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