मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 18 July 2020
तुम्हारे जन्मदिन पर
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मैं नहीं सुनाना चाहती तुम्हें दादी-नानी ,पुरखिन या समकालीन स्त्रियों की कुंठाओं की कहानियां, गर्भ में मार डाली गयी भ्रूणों की ...
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Wednesday, 15 July 2020
नैतिकता
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उज्जवल चरित्र उदाहरणार्थ जिन्हें लगाया गया था सजावटी पुतलों की भाँति पारदर्शी दीवारों के भीतर लोगों के संपर्क से दूर प्रदर...
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Sunday, 12 July 2020
शांति
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विश्व की प्राचीन एवं आधुनिक सभ्यताओं, पुरातन एवं नवीन धर्मग्रंथों में, पिछले हज़ारों वर्षों के इतिहास की किताबों में, पिर...
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Thursday, 9 July 2020
बुद्धिजीवी
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चित्र:मनस्वी मृदुल मुस्कान और विद्रूप अट्टहास का अर्थ और फ़र्क़ जानते हैं किंतु जिह्वा को टेढ़ाकर शब्दों को उबलने के ताप...
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Monday, 6 July 2020
साधारण होना...
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रोटी-दाल, चावल-सब्जी से इतर थाली में परोसी गयी पनीर या खीर देख खुश हो जाना, बहुत साधारण बात होती है शायद... भरपेट मनपसं...
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Thursday, 2 July 2020
नमक का अनुपात
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वे पूछते हैं बात-बात पर क्या आपके खून में देशभक्ति का नमक है? प्रमाण दीजिए, मात्रा बताइये नमक का अनुपात कितना है? एकदम ठंडा...
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Sunday, 28 June 2020
सरहद
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धरती के मानचित्र पर खींची गयी सूक्ष्म रेखाओं के उलझे महीन जाल, मूक और निर्जीव प्रतीत होती अदृश्य रूप से उपस्थित जटिल भौग...
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Thursday, 25 June 2020
वह उदास औरत
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चित्र : मनस्वी प्राजंल अंधेरे मुँह बेआवाज़ उठकर ठंडी बालकनी में पाँव सिकोड़े मूढ़े पर बुत-सी बैठी दूर तक पसरी नीरवता, गहन अंध...
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