मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Friday, 1 January 2021
संभावनाओं की प्रतीक्षा
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बुहारकर फेंके गये तिनकों के ढेर चोंच में भरकर चिड़िया उत्साह से दुबारा बुनती है घरौंदा। कतारबद्ध,अनुशासित नन्हीं चीटियाँ बिलों के ध्वस्त...
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Tuesday, 22 December 2020
विस्मृति ...#मन#
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मन पर मढ़ी ख़्यालों की जिल्द स्मृतियों की उंगलियों के छूते ही नयी हो जाती है, डायरी के पन्नों पर जहाँ-तहाँ बेख़्याली में लिखे गये आधे-पूरे नाम...
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Wednesday, 16 December 2020
'अजूबा' किसान
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चित्र:मनस्वी सदियों से एक छवि बनायी गयी है, चलचित्र हो या कहानियां हाथ जोड़े,मरियल, मजबूर ज़मींदारों की चौखट पर मिमयाते,भूख से संघर्षरत किसान...
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Saturday, 12 December 2020
पहले जैसा
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कोहरे की रजाई में लिपटा दिसंबर, जमते पहाड़ों पर सर्दियाँ तो हैं पर, पहले जैसी नहीं...। कोयल की पुकार पर उतरता है बसंत आम की फुनगी से मनचले भ...
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Wednesday, 9 December 2020
लय मन के स्फुरण की
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पकड़ती हूँ कसकर उम्र की उंगलियों में और फेंक देती हूँ गहरे समंदर में ज़िंदगी के जाल एक खाली इच्छाओं से बुनी.. तलाश में कुछ खुशियों की। भा...
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Sunday, 6 December 2020
किसान
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चित्र: मनस्वी प्रांजल धान ,गेहूँ,दलहन,तिलहन कपास के फसलों के लिए बीज की गुणवत्ता उचित तापमान,पानी की माप मिट्टी के प्रकार,खाद की मात्रा निरा...
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Monday, 30 November 2020
चाँद
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ठिठुरती रात, झरती ओस की चुनरी लपेटे खटखटा रही है बंद द्वार का साँकल। साँझ से ही छत की अलगनी से टँगा झाँक रहा है शीशे के झरोखे से उदास चाँद त...
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Saturday, 28 November 2020
सीख क्यों न पाया?
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सृष्टि के प्रारंभ से ही ब्रह्मांड के कणों में घुली हुई नश्वर-अनश्वर कणों की संरचना के अनसुलझे गूढ़ रहस्यों की पहेलियों की अनदेखी कर ज्ञा...
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