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Wednesday, 19 April 2017

राधा की पीड़ा

न भाये कछु राग रंग,
न जिया लगे कछु काज सखि।

मोती टपके अँचरा भीगे,
बिन मौसम बरसात सखि।

सूना पनघट जमना चुप सी,
गोकुल की गली उदास सखि।

दिवस जलावै साँझ रूलावै,
बड़ी मुश्किल में कटे रात सखि।

बैरन निदियां भयी नयन से,
भरी भरी आये ये आँख सखि।

निर्मोही को संदेशा दे दो,
लगी दरश की प्यास सखि।

दिन दिन भर मैं बाट निहारूँ,
कब आयगे मोरे श्याम सखि।

   #श्वेता🍁


14 comments:

  1. सुंदर साहित्यिक रचना हेतु साधुवाद, श्वेता जी।

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    1. 😊😊
      बहुत बहुत आभार आपका P.K ji

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  2. सुन्दरतम रचना। विरह मोहक चित्रण। बहुत खूब।

    कश्मीर में सेना के साथ हुई बदसलूकी पर आपकी ओज भरी अद्भुत कविता udtibaat.com पर प्रकाशित हुई है। वीर रस से ओतप्रोत इस शानदार कृति के लिये आपको बधाई। कृपया visit अवश्य करें।

    http://udtibaat.com/कश्मीर-में-सेना-के-जवानों-2/

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    1. बहुत बहुत आभार आपका अमित जी,आपके सुंदर प्रतिक्रिया के लिए।मुझे सूचित करने के लिए आभारी है।

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  3. बहुत उम्दा कविता हैं

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  4. बहुत उम्दा कविता हैं

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  5. आपकी लिखी रचना सोमवार. 31 जनवरी 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  6. विरह श्रृंगार का सुंदर सृजन राधाजी का विहल अनुराग सीधा हृदय तक उतरता।
    सुंदर सृजन श्वेता।

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  7. राधा के विरह को सटीक शब्द दिए हैं ।

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  8. अनिर्वचनीय पीड़ा के लिए विह्वल शब्द....

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  9. निर्मोही को संदेशा दे दो,
    लगी दरश की प्यास सखि।

    दिन दिन भर मैं बाट निहारूँ,
    कब आयगे मोरे श्याम सखि।
    राधा की विरह बेदना पर आधारित बहुत ही हृदयस्पर्शी भावपूर्ण सृजन।

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  10. राधा जी विरह को मनमोहक शब्दों में पिरोया है आपने श्वेता जी, लाजवाब सृजन.. सादर नमन आपको

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  11. सूना पनघट जमना चुप सी,
    गोकुल की गली उदास सखि।
    बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण प्रस्तुति प्रिय श्वेता 👌👌 क्या कहूं तुम्हारी सुन्दर शैली में अत्यन्त मनमोहक रचना से तुम्हारे लेखन के कई रंग स्मरण हो आए।
    यही कहूंगी ---
    ये रचना है खास सखी
    जगाती अनुपम एहसास सखी 👌👌👌🌷🌷💐💐

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  12. बहुत ही सुंदर ,विरहणी राधा की दशा चितरण

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।