जेहन की पगडंडियों पर चलकर
ए ख्याल,मन के कोरो को छूता है।
बरसों से जमे हिमखंड
शब्दों की आँच में पिघलकर,
हृदय की सूखी नदी की जलधारा बन
किनारों पर फैलै बंजर धरा पर
बूँद बूँद बिखरकर नवप्राण से भर देती है,
फिर प्रस्फुटित होते है नन्हें नन्हें,
कोमल भाव में लिपटे पौधे,
और खिल जाते है नाजुक
डालियों पर महकते
मुस्कुराहटों के फूल,
सुवासित करते तन मन को।
ख्वाहिशों की तितलियाँ
जो उड़कर छेड़ती है मन के तारों को
और गीत के सुंदर बोल
भर देते है जीवन रागिनी
और फिर से जी उठती है,
प्रस्तर प्रतिमा की
स्पंदनविहीन धड़कनें।
एक ख्याल, जो बदल देता है
जीवन में खुशियों का मायना।
#श्वेता🍁
ए ख्याल,मन के कोरो को छूता है।
बरसों से जमे हिमखंड
शब्दों की आँच में पिघलकर,
हृदय की सूखी नदी की जलधारा बन
किनारों पर फैलै बंजर धरा पर
बूँद बूँद बिखरकर नवप्राण से भर देती है,
फिर प्रस्फुटित होते है नन्हें नन्हें,
कोमल भाव में लिपटे पौधे,
और खिल जाते है नाजुक
डालियों पर महकते
मुस्कुराहटों के फूल,
सुवासित करते तन मन को।
ख्वाहिशों की तितलियाँ
जो उड़कर छेड़ती है मन के तारों को
और गीत के सुंदर बोल
भर देते है जीवन रागिनी
और फिर से जी उठती है,
प्रस्तर प्रतिमा की
स्पंदनविहीन धड़कनें।
एक ख्याल, जो बदल देता है
जीवन में खुशियों का मायना।
#श्वेता🍁
जेहन की पगडंडियों पर चलकर
ReplyDeleteएक ख्याल,मन के कोरो को छूता है.....
श्वेता जी, खूबसूरती से मन की भाव को आपने आनोखे शब्दों में पिरोया है। बधाई 👌👌
बहुत बहुत आभार शुक्रिया P.Kजी आपका
Delete😊😊
हमेशा स्वागत है आपका, श्वेता जी।
Deleteअद्भुत अद्भुत रचना। गुलज़ार साब के लेखन की शैली पूरी पूरी बानगी लिये आपकी यह शानदार रचना दिल को छू गई।
ReplyDeleteकश्मीर में सेना के साथ हुई बदसलूकी पर आपकी ओज भरी अद्भुत कविता udtibaat.com पर प्रकाशित हुई है। वीर रस से ओतप्रोत इस शानदार कृति के लिये आपको बधाई। कृपया visit अवश्य करें।
http://udtibaat.com/कश्मीर-में-सेना-के-जवानों-2/
बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका,इतने उत्साहवर्धक शब्दों के लिए अमित जी।
Deleteख़याल में बने बिम्ब प्रकृति का राग सुनाते हैं तब मन गदगद हो जाता है। ताज़गी का अनुभव और नवीनता का विस्तार करती पठनीय रचना। बधाई।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार रवीन्द्र जी।
Deleteख़याल में बने बिम्ब प्रकृति का राग सुनाते हैं तब मन गदगद हो जाता है। ताज़गी का अनुभव और नवीनता का विस्तार करती पठनीय रचना। बधाई।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका दी
ReplyDeleteख्वाहिशों की तितलियाँ
ReplyDeleteजो उड़कर छेड़ती है मन के तारों को
और गीत के सुंदर बोल
भर देते है जीवन रागिनी
और फिर से जी उठती है,
प्रस्तर प्रतिमा की
स्पंदनविहीन धड़कनें।
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति संवेदनाओं की ,जीवित करती मानव इच्छा ,आभार।