मुस्कुराते हुये ख्वाब है आँखों में
महकते हुये गुलाब है आँखों में
बूँद बूँद उतर रहा है मन आँगन
एक कतरा माहताब है आँखों में
उनकी बातें,उनका ही ख्याल बस
रोमानियत भरी किताब है आँखों में
जिसे पीकर भी समन्दर प्यासा है
छलकता दरिया ए आब है आँखों में
लम्हा लम्हा बढ़ती बेताबी दिल की
खुमारियों का सैलाब है आँखों में
लफ्जों की सीढ़ी से दिल में दाखिल
अनकहे सवालों के जवाब है आँखों में
#श्वेता🍁
महकते हुये गुलाब है आँखों में
बूँद बूँद उतर रहा है मन आँगन
एक कतरा माहताब है आँखों में
उनकी बातें,उनका ही ख्याल बस
रोमानियत भरी किताब है आँखों में
जिसे पीकर भी समन्दर प्यासा है
छलकता दरिया ए आब है आँखों में
लम्हा लम्हा बढ़ती बेताबी दिल की
खुमारियों का सैलाब है आँखों में
लफ्जों की सीढ़ी से दिल में दाखिल
अनकहे सवालों के जवाब है आँखों में
#श्वेता🍁
श्वेता जी, एहसासों के बूंदो से छलकती सुंदर रचना,,,,
ReplyDeleteजी बहुत आभार शुक्रिया आपका P.K ji
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 25 अप्रैल 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका दी शुक्रिया बहुत सारा🙏
Deleteअद्भुत दृश्यात्मक रचना। बेहतरीन ग़ज़ल। एक मूड का सिलसिलेवार तब्सिरा। बेमिसाल ख़्याल।
ReplyDeleteलम्हा लम्हा बढ़ती बेताबी दिल की
खुमारियों का सैलाब है आँखों मे।
खूब भालो।
बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपकी सुंदर प्रतिक्रिया हमेशा की तरह अमित जी...तहे दिल से शुक्रिया
Deleteसुन्दर! रचना श्वेता ,कुछ पंक्तियाँ आपकी लेखनी के लिए
ReplyDeleteश्वेता कलम सी लिखती जा
जो ख़्वाब तुम्हारे आँखों में
रुकना मत ठहरे नीर सा तूँ
शैलाब है तेरी आँखों में ,
दिखेंगे दिन में स्वप्न कई
नींद न लाना ,आँखों में
चिरस्थाई शब्दों का
तूँ मर्म जगाना आँखों में।
"एकलव्य"
क्या बात है ध्रुव जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया मन आहृलादित हुआ।आपकी सुंदर शुभकामनाओं के लिए हृदय से बहुत बहुत शुक्रिया,बहुत आभार ध्रुव जी
Deleteसुन्दर ।
ReplyDeleteआभार शुक्रिया बहुत सारा सुशील जी
Deleteकिसी की बातें ... प्रेम की बातें चाँद से काम कहाँ हैं ... लाजवाब ग़ज़ल ...
ReplyDeleteजी बहुत बहुत शुक्रिया आभार आपका दिगंबर जी
Deleteबहुत ही सटीक भाव..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत ...पोस्ट
शुक्रिया ..इतना उम्दा लिखने के लिए !!
बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपको संजय जी,इतनी सुंदर टिप्पणी के लिए।
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