रंगीन ख्वाबों सी आँख में भरी तितलियाँ
ओस की बूँदों सी पत्तों पे ठहरी तितलियाँ
गुनगुनाने लगा दिल बन गया चमन कोई
गुल के पराग लबों पे बिखरी तितलियाँ
बादलों के शजर में रंग भरने को आतुर
इन्द्रधनुष के शाखों पे मखमली तितलियाँ
बचपना दिल का लौट आता है उस पल
हौले से छूये गुलाबों की कली तितलियाँ
उदास मन के अंधेरों में उजाला है भरती
दिल की मासूम कहानी की परी तितलियाँ
मन के आसमाँ पर बेरोक फिरती रहती
आवारा है ख्यालों की मनचली तितलियाँ
#श्वेता🍁
ओस की बूँदों सी पत्तों पे ठहरी तितलियाँ
गुनगुनाने लगा दिल बन गया चमन कोई
गुल के पराग लबों पे बिखरी तितलियाँ
बादलों के शजर में रंग भरने को आतुर
इन्द्रधनुष के शाखों पे मखमली तितलियाँ
बचपना दिल का लौट आता है उस पल
हौले से छूये गुलाबों की कली तितलियाँ
उदास मन के अंधेरों में उजाला है भरती
दिल की मासूम कहानी की परी तितलियाँ
मन के आसमाँ पर बेरोक फिरती रहती
आवारा है ख्यालों की मनचली तितलियाँ
#श्वेता🍁
दिल में उतर जाने वाली प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत आभार शुक्रिया संजय जी😊😊
Deleteसुन्दर अभिव्यक्ति ! श्वेता आपकी लिखी रचना जीवंत करती हैं हृदय को, आभार। "एकलव्य"
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार ध्रुव जी आप मान देते हो मेरा सौभाग्य है।
Deleteआक्रोश ,क्रांति ,जीवन की विसंगतियां ,समाज , राजनीति ,शोषण ,रिश्ते आदि बिषयों से परे मन जब प्रकृति को ज़्यादा याद करने लगे तो श्वेता जी की रचनाएँ पढ़ने से ख़ुशी मिलेगी। सुकोमल भावों का प्रस्फुटन हमेशा अंतःकरण की गहराई नापता है। बधाई श्वेता जी इस विशेष अंक में आपकी रचना के चयन पर।
ReplyDeleteजी रवींद्र जी आपने बहुत सुंदर शब्दों में मेरी रचनाओं की सराहना की...बहुत बहुत आभारी है आपके ।आपकी शुभकामनाओं के लिए हृदय से शुक्रिया आपका।।
Deleteवाह।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सुशील जी आपका।
Deleteबहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति....
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया आदरणीय कैलाश जी।
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