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Saturday, 22 July 2017

धूप की कतरनें

छलछलाए आसमां की आँखों से
बरसती बैचेन बूँदें
देने लगी मन की खिड़की पर दस्तक
कस कर बंद कर ली ,फिर भी,
डूबने लगी भीतर ही भीतर पलकें,
धुँधलाने लगे दृश्य पटल
हृदय के चौखट पर बनी अल्पना में
मिल गयी रंगहीन बूँदे,
भर आये मन लबालब
नेह सरित तट तोड़ कर लगी मचलने,
मौन के अधरों की सिसकियाँ
शब्दों के वीरान गलियारे में फिसले,
भावों के तेज झकोरे से
छटपटा कर खुली स्मृतियों के पिटारे,
झिलमिलाती बूँदों मे
बहने लगी गीली हवाओं की साँसे,
अनकहे सारे एहसास
दुलराकर नरम बाहों से आ लिपटे,
सलेटी बादलों के छाँव में
बड़ी दूर तक पसरे नहीं गुजरते लम्हें,
बारिश से पसीजते पल
ढ़ूँढ रहे चंद टुकड़े धूप की कतरनें।

    #श्वेता🍁


14 comments:

  1. मन को छूती बहुत ही बढ़िया कविता

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    1. बहुत आभार शुक्रिया लोकेश जी।

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 23 जुलाई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।

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  3. बहुत कुछ निकाल बहार करती हैं ये धूप की करतनें ...
    गहरे भाव ...

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  4. वाह!!!
    लाजवाब....
    मन की खिड़की पर दस्तक
    मौन के अधरों की सिसकियाँ
    बहुत ही सुन्दर...

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  5. मन को छुती बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...

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  6. कोमल भावपूर्ण अभिव्यक्ति..

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  7. बहुत सुन्दर ! श्वेता जी

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  8. बारिश का एक रूप यह भी। भावों को गूंथने के लिए सुन्दर ख़ाका संजोया है। नवीनता और ताज़गी से भरी माधुर्यमय रचना। बधाई।

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  9. अपनी रचना और अपनी कलम पर पूरा विश्वाश और बेहद प्यार को दर्शाती रचना बहुत ही खूबसूरत अहसास |

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  10. बेहतरीन रचना ।

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  11. हृदय की चौखट पर अल्पना बनी है । मन भर आए और आँखें बरसें तो अल्पना पर बूँदें गिरेंगी ही ! स्मृतियों के पिटारे खुले और भावनाओं ने मन को बाँहों में भर लिया!खूबसूरती से किया गया बयान...

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    1. रचना का मर्म समझने के लिए बहुत बहुत आभार आपका मीना जी एवं सुंदर प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल से शुक्रिया आपका।

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।