आप अब तक किस गुमान में है
बुलंदी भी वक्त की ढलान में है
कदम बेजान हो गये ठोकरों से
सफर ज़िदगी का थकान में है
घूँट घूँट पीकर कंठ भर आया
सब्र गम़ का इम्तिहान में है
डरना नही तीरगी से मुझको
भोर का सूरज दरम्यान में है
नीम सी लगी वो बातें सारी
कड़वाहट अब भी ज़बान में है
#श्वेता🍁
एक सलाम इस रचना की शान में है -
ReplyDeleteअलबेली मिठास इन भावों की तान में है ---------
आदरणीय श्वेता जी हर बार की तरह आपके शब्द मन को छूते जा रहे है ---------
बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका रेणु जी, आपकी सुंदर ऊर्जा से लबरेज प्रतिक्रिया के लिए।
Deleteबहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका लोकेश जी।
Deleteनीम सी लगी वो बातें सारी
ReplyDeleteकड़वाहट अब भी ज़बान में है
अभी कुछ और,अभी कुछ और बाक़ी है
...........उम्दा गजल बनी है
जी, बहुत बहुत.आभार आपका शुक्रिया आपका संजय जी हमेशा की तरह:)
Deleteबहुत खूब ,जीवन का यथार्थ संजोती रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका रितु जी।
Deleteसुंदर !!!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका मीना जी
ReplyDeleteकिसी एक शेर को लिखना आसान नहीं यहाँ ... हर शेर बहुत लाजवाब है ...
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका इतने उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए।
DeleteEnter your comment...वाह
ReplyDeleteजी, शुक्रिया आपका।
Delete