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Monday, 17 July 2017

हायकु



आवारा मन
भटके आस पास
बस तेरे ही

कोई न सही
पर हो सब तुम
मानते तो हो

तुम्हें सोचूँ न
ऐसा कोई पल हो
जाना ही नहीं

खुश रहो तो
तुमको देख कर
मुसकाऊँ मैं

बरस रही 
बूँद बूँद बरखा
नेह से भरी

श्वेत चुनर
रंगी प्रीत में तेरी
सतरंगी सी

अनंत तुम
महसूस होते हो
पल पल में

पास या दूर
फर्क नहीं पड़ता
एहसास हो

   #श्वेता🍁

8 comments:

  1. बहुत शानदार हाइकू

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  2. उम्दा हाइकु ! बहुत बढ़िया

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    1. बहुत आभार शुक्रिया आपका ध्रुव जी।

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    2. बहुत बहुत शुक्रिया आपका लोकेश जी।

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  3. सुन्दर हाइकु -श्रृंखला।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका रवीन्द्र जी।

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  4. सुंदर हायकू

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  5. जी बहुत आभार मीना जी।

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।