दिल पे तुम्हारे कुछ तो हक हमारा होगा
कोई लम्हा तो याद का तुमको प्यारा होगा
कब तलक भटकेगा इश्क की तलाश में
दिली ख्वाहिश का कोई तो किनारा होगा
रात तो कट जाएगी बिन चाँदनी के भी
न हो सूरज तो दिन का कैसे गुजारा होगा
पूछती है उम्मीद भरी आँखें बागवान की
लुटती बहार मे कौन फूलों का सहारा होगा
तोड़ आते रस्मों की जंजीर तेरी खातिर
यकीन ही नहीं तुमने दिल से पुकारा होगा
#श्वेता🍁
कोई लम्हा तो याद का तुमको प्यारा होगा
कब तलक भटकेगा इश्क की तलाश में
दिली ख्वाहिश का कोई तो किनारा होगा
रात तो कट जाएगी बिन चाँदनी के भी
न हो सूरज तो दिन का कैसे गुजारा होगा
पूछती है उम्मीद भरी आँखें बागवान की
लुटती बहार मे कौन फूलों का सहारा होगा
तोड़ आते रस्मों की जंजीर तेरी खातिर
यकीन ही नहीं तुमने दिल से पुकारा होगा
#श्वेता🍁
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार लोकेश जी।
Deleteवाह!सुंदर शब्दों और मनोभावों से परिपूर्ण रचना..
ReplyDeleteइश्क की तलाश में तो कई बार जीवन भी कम लगता है ...
ReplyDeleteखूबसूरत शेरों का गुलदस्ता है ...