Pages

Sunday, 27 August 2017

भक्ति इंसान की

ये कैसी भक्ति करते हो इंसान की
लगे औलाद हो खूंखार शैतान की
धार्मिक उन्माद में भूले  इंसानियत
सर चढ़ी बोल रही तेरी हैवानियत
अपने हाथों सृजित आशियां को
क्यों अपने ही हाथों जला रहे हो
इक ज़रा तो सोचो ओ अंधे भक्तों
फैला अशांति क्या सुकूं पा रहे हो
इंसान को दे दिया रब का दर्जा
आस्था नहीं ये अंधविश्वास है
ऐसा भी क्या हुये मोह में अंधा
धर्म अधर्म  नही तुमको ज्ञात है
ज्वालामुखी बने आग उगलकर
ये कैसा दावानल लहका रहे हो
बेहाल जनता के मन का दर्पण बन
कुछ सार्थक करने की सोच लेते
यही देशभक्ति तेरी तेरा समर्पण
देश की शजर शाख तुम नोच लेते
ऐसी आँधियाँ उत्पात की बहाकर 
नष्ट कर उजाड़कर क्या पा रहे हो
कोई राम रहीम देश से बड़ा नहीं है
इतना सदा तुम तो याद रख लेना
पापकर कोई बच नहीं सकता है
हो सके तो गीता का जाप कर लेना
साथ दे, दुराचारी का भागीदार बन
ये कैसा राजधर्म तुम निभा रहे हो
     #श्वेता🍁

14 comments:

  1. बहुत ही उम्दा प्रस्तुति
    सच्चाई बयां करती रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी, आभार आपका लोकेश जी।

      Delete
  2. Replies
    1. जी, बहुत आभार एवं शुक्रिया आपका विश्वमोहन जी।

      Delete
  3. कटु सत्य जिसके दर्शन अन्धभक्ति में सदैव होते हैं.उम्दा प्रस्तुतीकरण श्वेता जी .

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका मीना जी।

      Delete
  4. कोई राम रहीम देश से बड़ा नहीं....।
    बिल्कुल सटीक...।बहुत ही उम्दा लेखन
    सच को सच्चाई से बयां करती लाजू प्रस्तुति....

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका सुधा जी।

      Delete
  5. ऐसे लोगों को सख्त सजा और ऐसे नेताओं को निकाल बाहर करना चाहिए ... हर बात का स्तर गिरता जा रहा है ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी, सही कहा आपने नासवा जी।
      आक्रोश उचित एवं आवश्यक है।
      अत्यंत आभार आपका।

      Delete
  6. सामयिक घटना के प्रति मानव की चेतना व संवेदना को जगाती संवेदनशील रचना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. अति आभार आपका मीना जी।सस्नेह तहेदिल से
      शुक्रिया।

      Delete
  7. सामयिक घटना पर आप की रचना एक कड़ी प्रतिक्रिया है ! हम कानून के राज में विश्वास करते हैं ! अदालत की तौहीन करती हुई भीड़ को विक्षिप्तों के हुजूम के सिवा क्या कहा जा सकता है ! खूबसूरत प्रस्तुति आदरणीया ! बहुत खूब ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी, सर रचना के सहमति में आपका मतंव्य अच्छा लगा।अति आभार आपका तहेदिल से।

      Delete

आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।