ये कैसी भक्ति करते हो इंसान की
लगे औलाद हो खूंखार शैतान की
लगे औलाद हो खूंखार शैतान की
धार्मिक उन्माद में भूले इंसानियत
सर चढ़ी बोल रही तेरी हैवानियत
अपने हाथों सृजित आशियां को
क्यों अपने ही हाथों जला रहे हो
इक ज़रा तो सोचो ओ अंधे भक्तों
फैला अशांति क्या सुकूं पा रहे हो
सर चढ़ी बोल रही तेरी हैवानियत
अपने हाथों सृजित आशियां को
क्यों अपने ही हाथों जला रहे हो
इक ज़रा तो सोचो ओ अंधे भक्तों
फैला अशांति क्या सुकूं पा रहे हो
इंसान को दे दिया रब का दर्जा
आस्था नहीं ये अंधविश्वास है
ऐसा भी क्या हुये मोह में अंधा
धर्म अधर्म नही तुमको ज्ञात है
ज्वालामुखी बने आग उगलकर
ये कैसा दावानल लहका रहे हो
आस्था नहीं ये अंधविश्वास है
ऐसा भी क्या हुये मोह में अंधा
धर्म अधर्म नही तुमको ज्ञात है
ज्वालामुखी बने आग उगलकर
ये कैसा दावानल लहका रहे हो
बेहाल जनता के मन का दर्पण बन
कुछ सार्थक करने की सोच लेते
यही देशभक्ति तेरी तेरा समर्पण
देश की शजर शाख तुम नोच लेते
ऐसी आँधियाँ उत्पात की बहाकर
कुछ सार्थक करने की सोच लेते
यही देशभक्ति तेरी तेरा समर्पण
देश की शजर शाख तुम नोच लेते
ऐसी आँधियाँ उत्पात की बहाकर
नष्ट कर उजाड़कर क्या पा रहे हो
कोई राम रहीम देश से बड़ा नहीं है
इतना सदा तुम तो याद रख लेना
पापकर कोई बच नहीं सकता है
हो सके तो गीता का जाप कर लेना
साथ दे, दुराचारी का भागीदार बन
ये कैसा राजधर्म तुम निभा रहे हो
इतना सदा तुम तो याद रख लेना
पापकर कोई बच नहीं सकता है
हो सके तो गीता का जाप कर लेना
साथ दे, दुराचारी का भागीदार बन
ये कैसा राजधर्म तुम निभा रहे हो
#श्वेता🍁
बहुत ही उम्दा प्रस्तुति
ReplyDeleteसच्चाई बयां करती रचना
जी, आभार आपका लोकेश जी।
Deleteवाह!
ReplyDeleteजी, बहुत आभार एवं शुक्रिया आपका विश्वमोहन जी।
Deleteकटु सत्य जिसके दर्शन अन्धभक्ति में सदैव होते हैं.उम्दा प्रस्तुतीकरण श्वेता जी .
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका मीना जी।
Deleteकोई राम रहीम देश से बड़ा नहीं....।
ReplyDeleteबिल्कुल सटीक...।बहुत ही उम्दा लेखन
सच को सच्चाई से बयां करती लाजू प्रस्तुति....
बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका सुधा जी।
Deleteऐसे लोगों को सख्त सजा और ऐसे नेताओं को निकाल बाहर करना चाहिए ... हर बात का स्तर गिरता जा रहा है ...
ReplyDeleteजी, सही कहा आपने नासवा जी।
Deleteआक्रोश उचित एवं आवश्यक है।
अत्यंत आभार आपका।
सामयिक घटना के प्रति मानव की चेतना व संवेदना को जगाती संवेदनशील रचना।
ReplyDeleteअति आभार आपका मीना जी।सस्नेह तहेदिल से
Deleteशुक्रिया।
सामयिक घटना पर आप की रचना एक कड़ी प्रतिक्रिया है ! हम कानून के राज में विश्वास करते हैं ! अदालत की तौहीन करती हुई भीड़ को विक्षिप्तों के हुजूम के सिवा क्या कहा जा सकता है ! खूबसूरत प्रस्तुति आदरणीया ! बहुत खूब ।
ReplyDeleteजी, सर रचना के सहमति में आपका मतंव्य अच्छा लगा।अति आभार आपका तहेदिल से।
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