तन्हाई में जब उनकी याद सुगबुगाती है
धड़कनें खास अंदाज़ में सिहर जाती है
वो जो कह गये बातें आधी-अधूरी-सी
दिल की तह से टकराकर छनछनाती है
बाँट के ख़ुद को थोड़ा उसमें थोड़ा इसमें
उलझे धागों की गुत्थियाँ सुलझ जाती हैं
दर्द सहना,अश्क़ पीना,तड़पना हर पल
ज़िंदगी ताल में हक़ीकत के नग्में गाती है
वो पूछते हैं अक्सर मेरी उदासी का सबब
उनकी मासूमियत भी आजकल रुलाती है
न चाँद,न सितारा कोई,न वो नसीब मेरा
जिनकी ख़्वाहिश में तमन्नाएँ मचल जाती है
#श्वेता सिन्हा