चलो बाँध स्वप्नों की गठरी
रात का हम अवसान करें
नन्हें पंख पसार के नभ में
फिर से एक नई उड़ान भरेंं
बूँद-बूँद को जोड़े बादल
धरा की प्यास बुझाता है
बंजर आस हरी हो जाये
सूखे बिचड़ों में जान भरेंं
काट के बंधन पिंजरों के
पलट कटोरे स्वर्ण भरे
उन्मुक्त गगन में छा जाये
कलरव कानन में गान भरेंं
चोंच में मोती भरे सजाये
अंबर के विस्तृत आँगन में
ध्रुवतारा हम भी बन जाये
मनु जीवन में सम्मान भरें
जीवन की निष्ठुरता से लड़
ऋतुओं की मनमानी से टूटे
चलो बटोरकर तिनकों को
फिर से एक नई उड़ान भरेंं
-श्वेता सिन्हा
वाह निःशब्द करती मनमोहक रचना 👌
ReplyDeleteनमन है आपकी सुंदर लेखकी को श्वेता दीदी 🙇
बहुत-बहुत आभार प्रिय आँचल...आपकी सराहना ने मन प्रफुल्लित कर दिया।
Deleteहृदयतल से आभार।
.. उत्साह के बिंब से लबरेज ..हौसलों को पंख देती आत्मविश्वासी रचना... बेहतरीन लिखा आपने.!!
Deleteचोंच में मोती भरे सजाये
ReplyDeleteअंबर के विस्तृत आँगन में
ध्रुवतारा हम भी बन जाये
मनु जीवन में सम्मान भरें
........................................वाह्ह्ह!!! आशा अमर है जिसकी आराधना कभी निष्फल नहीं होती!
आस की आग जगाती सुन्दर रचना!!!
जी,हम सच है न आस ही जीवन है। विश्वमोहन जी,आपका आशीष संजीवनी है मेरी रचनाओं के लिए। हृदयतल से अति आभार आपका। आपकी ऐसी प्रतिक्रिया उत्साह से भर देती है।
Deleteशुभ प्रभात
ReplyDeleteमीठी उड़ान
सादर
शुभ प्रभात दी,
ReplyDeleteआपके स्नेह के लिए आभार दी।
सादर।
मन है मेरा बावरा
ReplyDeleteकौन उसे समझाये
मै धरती पर खड़ा निहारूं
वो अंबर छू आये
बहुत खूबसूरत रचना।
अति आभार आपका प्रिय नीतू...आपकी लिखी सुंदर पंक्तियाँ... वाह्ह👌👌👌
Deleteहृदयतल से शुक्रिया आपका।
वाह!श्वेता जी,
ReplyDeleteबहुत खूब.
अति आभार आपका सर, आपका आशीष सदसदैव अपेक्षित है।
Deleteसादर।
जोश उन्माद और आशा के रथ पर सवार शब्द जैसे उड़ान को तैयार है रचना के ... लाजवाब प्रेरित करते शब्द रचना के भाव ... रचना को मोहक बना रहे हैं ...
ReplyDeleteआपकी उत्साह और सकारात्मकता से भीगी प्रतिक्रिया से मन अभिभूत हुआ नासवा जी।
Deleteअति आभार आपका हृदयतल से। आपके.निलंतर उत्साहवर्धन के लिए बहुत शुक्रिया।
सादर।
स्वेता, बहुत ही जोश और उम्मीद से परिपूर्ण रचना। नई आशा जगाती बहुत ही सुंदर प्रस्तूति।
ReplyDeleteअति आभार ज्योति दी,आपकी सुंदर प्रतिक्रिया सदैव बहुत मायने रखती है। तहेदिल से शुक्रिया।
Deleteवाह!!आशा जगाती मनमोहक रचना।
ReplyDeleteअति आभार आपका शुभा दी:)
Deleteतहेदिल से शुक्रिया बहुत सारा। सस्नेह।
चलो बाँध स्वप्नों की गठरी
ReplyDeleteरात का हम अवसान करें
नन्हें पंख पसार के नभ में
फिर से एक नई उड़ान भरेंं
रचना का प्रारंभ ही इतना सुंदर है !!!
प्रभावपूर्ण रचना !
अति आभार आपका मीना जी।
Deleteतहेदिल शुक्रिया आपका बहुत सारा।
आपकी सराहना सदैव मुस्कान दे जाती है।
कृपया, स्नेह बनाये रखेंं।
ReplyDeleteबूँद-बूँद को जोड़े बादल
धरा की प्यास बुझाता है
बंजर आस हरी हो जाये
सूखे बिचड़ों में जान भरेंं------------
अति सुंदर !!!!!!!!!! प्रिय श्वेता -- नयी आशाओं की उड़ान भर्ती रचना बेहद सराहनीय और बेजोड़ है |कल्पना का पाखी न जाने कहाँ -कहाँ विचर सृजन के मोती चुग लाता है | सस्नेह शुभकामना | |
अति आभार रेणु दी:),
Deleteअपनेपन के कोमल शब्दों में गूँथकर भेंट किये आपके द्वारा शब्दों के मोती किसी भी रचनाकार को विशिष्टता का अनुभव करवा जाते है। बेहल.आभार आपका सदैव प्रेरक प्रतिक्रिया करने के लिए।
सादर।
श्वेता आप ऐसी सकारात्मक रचनाऐं लिख देते हो कि हर नकारात्मक सोच का अवसान समीप नजर आता है।
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर रचना।
अप्रतिम अतुलनीय।
पंख घायल है तो क्या
उडान का जज्बा बेमिसाल है
पंखो पर नही
हौसलें पर पनी परवाज है।
मेरी प्यारी दी:)
Deleteआपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए सबसे खास होती है हमेशा। मेरी रचनाओं में प्राण भरने का श्रेय तो आपको ही जाता है। आपने सदैव बहुत सहयोग किया मेरा मनोबल बढ़ाया है दी।
कृपया,अपना स्नेहाषीश सदैव बनाये रखियेगा।
आपकी बेहद प्रेरक पंक्तियाँ दी👌👌
अति आभार आपका।
अप्रतिम रचना,इतनी सकारात्मकता और जोश कि मन तक सीधे उतर जाता है। बेहद प्रभावी और प्रेरक रचना।
ReplyDeleteआपकी रचनाशीलता को सलाम
सादर
इतनी सकारात्मक और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका अति आभार अपर्णा जी। कृपया नेह बनाये रखियेगा।
Deleteसादर।
जीवन की निष्ठुरता से लड़
ReplyDeleteऋतुओं की मनमानी से टूटे
चलो बटोरकर तिनकों को
फिर से एक नई उड़ान भरेंं
सकारात्मक विचारों से ओतप्रोत शानदार रचना
अति आभार आपका लोकेश जी।
Deleteआपने सदैव अपनी प्रतिक्रियाओं के द्वारा मेरा मनोबल बढ़ाया है।
हृदयतल से बहुत शुक्रिया आपका।
आदरणीय निश्छल जी आपके द्वारा की गयी सराहना के लिए हृदयतल से अति आभार आपका।
ReplyDeleteब्लॉग पर सदैव आपका अभिनन्दन है।
सादर।
ReplyDeleteचलो बाँध स्वप्नों की गठरी
रात का हम अवसान करें
नन्हें पंख पसार के नभ में
फिर से एक नई उड़ान भरेंं
बहुत सुन्दर प्रेरणादायक...
सकारात्मकता से ओतप्रोत उत्साहवर्धन करती लाजवाब अभिव्यक्ति....
वाह!!!
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ०९ अप्रैल २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
निमंत्रण
विशेष : 'सोमवार' ०९ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में आदरणीय 'रवींद्र' सिंह यादव जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।
अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
चोंच में मोती भरे सजाये
ReplyDeleteअंबर के विस्तृत आँगन में
ध्रुवतारा हम भी बन जाये
मनु जीवन में सम्मान भरें
बहुत सुन्दर रचना .
बहुत अच्छी रचना ...
ReplyDeleteचलो बटोरकर तिनकों को
ReplyDeleteफिर से एक नई उड़ान भरेंं
गहरे जज्बातों से भरी बहुत ही बेहतरीन कविता !!
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में बुधवार 29 एप्रिल 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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