Tuesday, 10 September 2019

क्यों....?


दामन काँटों से भरना क्यों?
जीने के ख़ातिर मरना क्यों?

रब का डर दिखलाने वालों
ख़ुद के साये से डरना क्यों?

न दर्द,न टीस,न पीव-मवाद
ऐसे जख़्मों का पकना क्यों?

जो मिटा चुकी यादें गलियाँ
उनके तोहफों को रखना क्यों?

यह जग बाजा़र है चमड़ी का
यहाँ मन का सौदा करना क्यों?

सब छोड़ यहीं उड़ जाना है
पिंजरे के मोह में झंखना क्यों?

#श्वेता सिन्हा

मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...