ये दर्द कसक दीवानापन
ये उलझा बिगड़ा तरसता मन
दुनिया से उकताकर भागा
तेरे पहलू में आ सुस्ताता मन
दो पल को तुम मेरे साथ रहो
तन्हा है तड़पता प्यासा मन
तेरी एक नज़र को बेकल
पल-पल कितना अकुलाता मन
नज़रें तो दर न ओझल हो
तेरी आहट पल-पल टोहता मन
खुद से बातें कभी शीशे से
तुझपे मोहित तुझे पाता मन
तेरी तलब तुझसे ही सुकून
हद में रह हद से निकलता मन
दुनिया के शोर से अंजाना
तुमसे ही बातें करता मन
बेरूख़ तेरे रूख़ से आहत
रूठा-रूठा कुम्हलाता मन
चाहकर भी चाहत कम न हो
बस तुमको पागल चाहता मन
#श्वेता सिन्हा