मानवों की पदचाप की आहट से
जोर से सिहरा होगा चाँद,
मशीनी शोर , घरघराहट से
दो पल तो ठहरा होगा चाँद...।
जोर से सिहरा होगा चाँद,
मशीनी शोर , घरघराहट से
दो पल तो ठहरा होगा चाँद...।
सदियों से शांति से सोया,
मौन भंग से उद्वेलित तो होगा
रहस्यों के उजागर होने के भय से
भीतर ही भीतर आंदोलित तो होगा
बस्तियाँ बसे न बसे,आशिया सजे न सजे
देवत्व का मिथक टूटता देख
जाने क्या-क्या कह रहा होगा चाँद।
मौन भंग से उद्वेलित तो होगा
रहस्यों के उजागर होने के भय से
भीतर ही भीतर आंदोलित तो होगा
बस्तियाँ बसे न बसे,आशिया सजे न सजे
देवत्व का मिथक टूटता देख
जाने क्या-क्या कह रहा होगा चाँद।
मख़मली शीतल एहसास की
अब न होगी रूमानी कहानियाँ
ख़ुरदरी,धूलभरे बेडौल गड्ढों की तस्वीरें
बना रही अमिट निशानियाँ
अब न कोई कविता या गज़ल बनेगी
न किसी मिसरा में होगा चाँद
रूखी सतह के ठंडे, गर्म विश्लेषण में
आंकड़ों की किताब के हाशिये में
बस संख्याओं में पसरा होगा चाँद...।
रूखी सतह के ठंडे, गर्म विश्लेषण में
आंकड़ों की किताब के हाशिये में
बस संख्याओं में पसरा होगा चाँद...।
#श्वेता
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२३ अगस्त २०२३
शाम ६ बजकर १५ मिनट
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