अंधेरे छत के कोने में खड़ी
आसमान की नीले चादर पर बिछी
नन्हें बूटे सितारों को देखती हूँ
उड़ते जुगनू के परों पर
आधे अधूरे ख्वाहिशें रखती
टूटते सितारों की चाह में
टकटकी बाँधे आकाशगंगा तकती हूँ
जो बीत गया है उन पलों के
पलकों पे मुस्कान ढ़ूढती हूँ
श्वेत श्याम हर लम्हे में
बस तुम्हें ही गुनती हूँ
क्या खोया क्या पाया
सब बेमानी सा लगे
जिस पल तेरे साथ मैं होती
मन के स्याह आसमान में
जब जब तेरे यादों के सितारे उभरते
बस तुझमें मगन पूरी रात
एक एक तारा गिनती हूँ
तुम होते हो न होकर भी
उस एहसास को जीती हूँ
आसमान की नीले चादर पर बिछी
नन्हें बूटे सितारों को देखती हूँ
उड़ते जुगनू के परों पर
आधे अधूरे ख्वाहिशें रखती
टूटते सितारों की चाह में
टकटकी बाँधे आकाशगंगा तकती हूँ
जो बीत गया है उन पलों के
पलकों पे मुस्कान ढ़ूढती हूँ
श्वेत श्याम हर लम्हे में
बस तुम्हें ही गुनती हूँ
क्या खोया क्या पाया
सब बेमानी सा लगे
जिस पल तेरे साथ मैं होती
मन के स्याह आसमान में
जब जब तेरे यादों के सितारे उभरते
बस तुझमें मगन पूरी रात
एक एक तारा गिनती हूँ
तुम होते हो न होकर भी
उस एहसास को जीती हूँ
#श्वेता🍁