बचपन की वो सारी बातें
स्मृति पटल पर लोट गयी
तुम न आओगे सोच सोच
भरी पलकें आँसू घोंट गयी
स्मृति पटल पर लोट गयी
तुम न आओगे सोच सोच
भरी पलकें आँसू घोंट गयी
वीरगति को प्राप्त हुये तुम
भैय्या तुम पर हमें नाज़ है
सूना आँगन चुप घर सारा
बस सिसकियों का राज़ है
छुप छुप रोये माँ की आँखें
पापा भी मौन उदास है
भैय्या तुम पर हमें नाज़ है
सूना आँगन चुप घर सारा
बस सिसकियों का राज़ है
छुप छुप रोये माँ की आँखें
पापा भी मौन उदास है
रोऊँ मैं कौन चुप करायेगा
लूडो में मुझे हारता देखकर
कौन मुझको जितवायेगा
चोरी से छुपके सबसे अब
पिक्चर कौन ले जायेगा
पॉकेटमनी बचा बचाकरके
मँहगी किताबें कौन दिलवायेेेगा
लूडो में मुझे हारता देखकर
कौन मुझको जितवायेगा
चोरी से छुपके सबसे अब
पिक्चर कौन ले जायेगा
पॉकेटमनी बचा बचाकरके
मँहगी किताबें कौन दिलवायेेेगा
तुम बिन राखी आकर जायेगी
कितना भी समझाऊँ खुद को
भैय्या तेरी याद बहुत ही आयेगी
न होगी वो होली, दिवाली, दूज
ये वेदना रह रह मुझे रूलायेगी
नियति के क्रूर लेख से हारकर
तेरी कमी आजीवन न भर पायेेेगी
कितना भी समझाऊँ खुद को
भैय्या तेरी याद बहुत ही आयेगी
न होगी वो होली, दिवाली, दूज
ये वेदना रह रह मुझे रूलायेगी
नियति के क्रूर लेख से हारकर
तेरी कमी आजीवन न भर पायेेेगी
#श्वेता🍁
चित्र साभार गूगल
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका लोकेश जी।
Deleteहृदयस्पर्शी रचना.....
ReplyDeleteबहुत ही सुनश्र
बहुत ही सुन्दर हृदय स्पर्शी रचना......
बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका सुधा जी।
Deleteनयनों को नम करती उष्ण रचना!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका विश्वमोहन जी।
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 07 अगस्त 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ध्रुव जी।
Deleteबहन भाई का प्यार दर्शाती बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका ज्योति जी।
Deleteसुन्दर हृदय स्पर्शी बहन भाई का प्यार दर्शाती.... रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका संजय जी।
ReplyDeleteवीर गति को प्राप्त हुए भाई की याद में रचना बहुत भावुक कर देने वाली है ------ कोटि कोटि नमन ऐसे वीर भाई की याद को ---------
ReplyDeleteवीर गति को प्राप्त हुए वीर भाई की रिक्तता को दर्शाती भावपूर्ण और ह्रदय स्पर्शी रचना ------ ऐसे वीर भाई की याद को कोटि कोटि नमन -----
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका रेणु जी। तहे दिल से शुक्रिया।
ReplyDeleteहृदय स्पर्शी रचना..
ReplyDeleteराखी के दो तार सँग , मीठे सच्चे बोल
किस्मत वालों को मिलें,ये बंधन अनमोल!
बहुत बहुत आभार आपका विनोद जी
Deleteआपको मेरे ब्लॉग पर देख बहुत अच्छा लगा।
हमेशा की तरह आपकी सुंदर लाज़वाब दो पंक्तियाँ👌👌
जो वीर गति को प्राप्त करते हैं वो कहीं नहीं जाते ... आस पास ही रहते हैं ...
ReplyDeleteदिल को छूते हुए एहसासों को शब्द दिए हैं आपने ... राखी के एहसास को ज़िंदा रखा है आपने ...