Pages

Monday, 11 September 2017

चाँद

*चित्र साभार गूगल*
मुक्तक

चाँद आसमान से बातें करता ऊँघने लगा
अलसाकर बादलों के पीछे आँखें मूँदने लगा
नीरवता रात की मुस्कुरायी सितारों को चूमकर
ख्वाबों मे हुई आहट फिजां में संगीत गूँजने लगा
*********************************   
चाँदनी रातों को अक्सर छत पे चले जाते है
वो भी देखते होगे चंदा सोच सोच मुस्कुराते है
पलकों के पिटारे मे बंद कर ख्वाब नशीले
रेशमी यादों के आगोश में गुम हम सो जाते है
*********************************  
झर झर झरती चाँदनी मुझसे है बतियाए
वो बैठा तेरे छाँव तले चँदनियाँ उसको भाए
गुन गुन करते पवन झकोरे तन मेरा छू जाए
उसकी याद की मीठी सिहरन मन मेरा बौराए
**********************************
चाँदनी के धागों से स्याह आसमान पे पैगाम लिखा है
दिल की आँखों से पढ़ लो संदेशा एक खास लिखा है
पी लो धवल चाँद का रस ख्यालों के वरक लपेटकर
सुनहरे ख्वाब मे मुस्कुराने को अपने एहसास लिखा है

          #श्वेता🍁




12 comments:

  1. बहुत ही सुंदर
    रुमानियत के भावों से भरे सभी मुक्तक बेहतरीन हैं

    ReplyDelete
  2. चाँद और चाँदनी पर एक से बढ़ कर एक मुक्तक ......, बहुत खूब‎ श्वेता जी ।

    ReplyDelete
  3. कल्पनाशक्ति की विराटताऔर क्षमता का ख़ूबसूरत प्रदर्शन।
    हरेक मुक्तक ने अपना लक्ष्य तय किया और दिल को छू लिया।
    मखमली ,रेशमी एहसासों से भरी ऐसी अभिव्यक्ति मन में सकारात्मकता की जननी है।
    अति आधुनिकता से उत्पन्न विकृत सोच की चीरफाड़ करने के बजाय झुलसते भावों को प्रकृतिजन्य सृजन से ठंडक पहुँचाना ही सार्थक व सटीक सकारात्मकता है ,सोच और चिंतन की उर्वरता है।
    बधाई एवं शुभकामनाऐं श्वेता जी।
    लिखते रहिये।

    ReplyDelete
  4. काबिले तारीफ बार बार पढ़ने से भी मन नहीं भरता !

    ReplyDelete
  5. वाह....
    बहुत शानदार
    वजन है इस चतुष्पदी में
    सादर

    ReplyDelete
  6. चाँद तो हमेशा से प्रिय विषय रहा है कवियों का.... आपका ये अलग अंदाज़ चाँद को भी जरूर भाया होगा, तभी इतना इतरा रहा है !!!
    बहुत खूबसूरत रचना । बधाई श्वेताजी ।

    ReplyDelete
  7. चाँदनी के धागों से स्याह आसमान पे पैगाम लिखा है
    दिल की आँखों से पढ़ लो संदेशा एक खास लिखा है
    पी लो धवल चाँद का रस ख्यालों के वरक लपेटकर
    सुनहरे ख्वाब मे मुस्कुराने को अपने एहसास लिखा है
    बहुत ही खूबसूरत रचना स्वेता जी।

    ReplyDelete
  8. चाँद और रूमानियत का रिश्ता जनम जनम से है ... और इसी भाव को बाँधा है हर बंध में ... बहुरत खूब ...

    ReplyDelete
  9. लाजवाब.... लाजवाब..!!!
    नीरवता की रात मुस्कुरायी सितारों को चूमकर
    ख्वाबों में हुई आहट फिजांं में संगीत गूँजने लगा
    वाह !!!
    बहुत बहुत सुन्दर
    इतनी सुन्दर रचना के लिए बधाई ,श्वेता जी !

    ReplyDelete
  10. चाँद आसमान से बातें करता ऊँघने लगा
    अलसाकर बादलों के पीछे आँखें मूँदने लगा
    नीरवता रात की मुस्कुरायी सितारों को चूमकर
    ख्वाबों मे हुई आहट फिजां में संगीत गूँजने लगा।

    सदा की तरह अप्रतिम और मनमोहक श्वेता जी ।

    ReplyDelete
  11. कल्पना में यदि चांदनी रात का खूबसूरत वातावरण हो तो इससे बेहतर रचना क्या हो सकती है ! लाजवाब प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।

    ReplyDelete
  12. बहुत सुन्दर रचना ,आभार "एकलव्य"

    ReplyDelete

आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।