पहाड़ों
का मौसम
फ़िज़ांओं में
उतर आया है।
चाँदनी ने
सारी रात
खूब नेह
बरसाया है।
ओस में भीगी
फूल और पत्ते
ताजगी
जगाने लगी,
करवट
ले रहा
मौसम
हवाओं ने
एहसास
कराया है।
नीले नीले
आसमां में
रूई से
बादल
उड़ने लगे,
गुनगुनी
धूप की
बारिश ने,
रुत को
रंगीन
बनाया है।
भँवर
और तितली
फूलों से
बतियाने लगे,
गुलाब की
खुशबू ने
बाग का
हर कोना
महकाया है।
शरद के
स्वागत में
वादियों के
दामन
सजने लगे,
बहकी
हवाओं ने
हर शय में
नया राग
जगाया है।
#श्वेता🍁
Sweta Ji, Great expression of feeling
ReplyDeleteThanku so much Rinki ji.
Deleteशरद का आगमन ,बदलता मौसम ......
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना...
भँवर
और तितली
फूलों से
बतियाने लगे,
वाह!!!
लाजवाब...
बहुत बहुत आभार सुधा जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका खूब सारा।
Deleteवादियाँ तो तैयार हैं स्वागत के लिए ... गुनगुनी धुप हो चली है अब ...
ReplyDeleteबहुत खूब है रचना ...
बहुत बहुत आभार नासवा जी आपका। काफी दिनों बाद आपकी प्रतिक्रिया मिली बहुत अच्छा लगा।
Deleteखूबसूरत मौसम !!!!
ReplyDeleteहाँ मीना जी बहुत खूबसूरत मौसम।आभार जी आपका बहुत सारा।
Deleteशरद के
ReplyDeleteस्वागत में
वादियों के
दामन
सजने लगे,
बहकी
हवाओं ने
हर शय में
नया राग
जगाया है।.... बहुत सुन्दर -वंदना बाजपेयी
बहुत बहुत आभार आपका वंदना जी। तहेदिल से
Deleteशुक्रिया आपका।
बहुत उम्दा रचना श्वेता जी
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका लोकेश जी,तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।
Deleteस्वेता,शरद के मौसम का बहुत ही खूबसूरत वर्णन किया हैं तुमने। बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ज्योति जी,शरद इतना प्यारा है कि शब्दों में वर्णन हो ही पाता।
Deleteजाइए...
ReplyDeleteमैं नहीं व्यक्त करती
अपनी प्रतिक्रिया..
निगोड़ा शरद...
आया भी देर से
जाएगा भी जल्दी
ज़ियादा दिन तक
गरम चाय और
मूंगबड़े का आनन्द
नहीं न ले पाएँगे
सादर
मेरी प्यारी दी की सबसे न्यारी प्रतिक्रिया😊
Deleteबहुत आभार दी,तहेदिल से शुक्रिया आपका खूब सारा।
जाने दीजिए जल्दी जितने भी दिन है आनंद लेते है न।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 31 अक्टूबर 2017 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार दी तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteपहाड़ों
ReplyDeleteका मौसम
फ़िज़ांओं में
उतर आया है।
Wahhhhhh। बहुत सुंदर। ख़ूबसूरत रचना
बहुत बहुत आभार आपका तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा अमित जी।
Deleteठंडक की बात ही कुछ और है . इस पर स्वागत में आपकी रचना.बहुत खूब श्वेता जी .
ReplyDeleteजी आभार आपका मीना जी बहुत सारा,तहेदिल से शुक्रिया जी।
Deleteबहुत खूब।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका सर,तहेदिल से शुक्रिया।
Deleteबहुत उम्दा !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ध्रुव जी।शुक्रिया तहेदिल से।
Deleteवाह !!बहुत खूबसूरत शब्दों से सजाई रचना
ReplyDeleteहम़े बहुत ही पसंद आई रचना।
जी शुभा जी,आपको रचना पसंद आयी हमें बहुत खुशी हुई।आभार बहुत सारा तहेदिल से।
Deleteशरद का स्वागत बहुत खूब -- प्रिय श्वेता बहन | बहुत आँखें पकाई इसके इन्तजार ने |
ReplyDeleteप्रिय रेणु जी जी सालभर का इंतज़ार के बाद ही मिलती है ठंडी बयार।
Deleteबहुत बहुत आभार आपका शुक्रिया तहेदिल से जी।
बहुत ही प्यारी रचना ....
ReplyDeleteबहुत आभार सदा जी।तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteवाह ! खूबसूरत रचना ! बहुत खूब आदरणीया ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका सर,काफी दिनों बाद आपका आशीष मिला मन प्रसन्न हुआ।तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/11/42.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शुक्रवार 11 सितम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteप्रियश्वेता, एक बार फिर से पढ़कर आनंद aa गया ये रचना पढ़कर। अत्यंत मनोहारी दृश्य सजाती रचना। शुभकामना और प्यार ❤❤🌹🌹
ReplyDeleteआदरणीया मैम,
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी रचना शरद ऋतु के स्वागत में।प्रकृति का अति सुंदर मर्म रूप जो मन को आनंद से भर देता है। शरद ऋतु की एक शांत सुनहरी सुबह की छवि मन को निश्चिन्त और सुखद अनुभूति देती है।
आज आपकी रचनाओं से सजी हुई प्रस्तुति पढ़ कर बहुत आनंद आया।
आशा है कि आप जल्दी ही अपनी नई रचनाओं के साथ लौटें।
आपको सादर नमन।
*मनोरम
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