आँख के आँसू छुपाकर
मीठी नदी की धार लिखना,
घोंटकर के रूदन कंठ में
खुशियों का ही सार लिखना।
सूखते सपनों के बिचड़े
रोपकर मुस्कान लिखना,
लूटते अस्मत को ढककर
बातों के आख्यान लिखना,
बुझ गये चूल्हों पर लोटते
बदन के अंगार लिखना।
कब्र बने खेतों की माटी में
लहलहाते फसल लिखना,
कटते वन पेड़ों के ठूँठों पर
खिलखिलाती गज़ल लिखना,
वनपखेरू बींधते आखेटकों का
प्रकृति से अभिसार लिखना।
दूधमुँहों से छीनी क्षीर पर
दान,गर्व का स्पर्श लिखना,
लथपथे जिस्मों के खूं पर
राष्ट्र का उत्कर्ष लिखना,
गोलियों से छलनी बदन पर
रूपयों की बौछार लिखना।
देशभक्त कहलवाना है तो
न कोई तुम अधिकार लिखना,
न भूलकर लिखना दर्द तुम
न वोटों का व्यापार लिखना,
फटे जेब में सपने भरे हो
उस देश का त्योहार लिखना।
#श्वेता🍁
वाह....
ReplyDeleteफटे जेब में सपने भरे हो
उस देश का त्योहार लिखना।
क्या बात है....
सादर
जी,आभार दी खूब सारा:)
Deleteतहेदिल से शुक्रिया।
सादर
बहुत ही सुंदर रचना
ReplyDeleteहर बंध लाजवाब
शुष्क-शब्द-सैकत-सिक्त, भावों की मरुभूमि में,
ReplyDeleteतुषार-हार-धवला यूँ, कविता की रसधार लिखना!....संदर! बहुत सुन्दर!!!
कब्र बने खेतों की माटी में
ReplyDeleteलहलहाते फसल लिखना,
कटते वन पेड़ों के ठूँठों पर
खिलखिलाती गज़ल लिखना,
वनपखेरू बींधते आखेटकों का
प्रकृति से अभिसार लिखना।--------------- क्या बात है श्वेता जी !!!!!!!!!! बहुत खूब लिखा आपने हमेशा की तरह |
Dil likh diya hai apne is rachna mein.
ReplyDeleteफटे जेब में सपने भरे हो
ReplyDeleteउस देश का त्योहार लिखना।
बहुत ही सुंदर रचना, स्वेता।
कटते वन पेड़ों के ठूँठों पर
ReplyDeleteखिलखिलाती गज़ल लिखना,
वनपखेरू बींधते आखेटकों का
प्रकृति से अभिसार लिखना....
आपका संवेदनशील मन हर उस जगह पहुँच जाता है जहाँ संवेदनाएँ रूदन कर रही हों....पाषाण सी कठोर वेदनाओं को शब्दसुमनों में बदलने की सामर्थ्य रखती है आपकी लेखनी....
वाह!क्या कमाल की रचना है. बेहद प्रभावशाली.
ReplyDeleteकटते वन पेड़ों के ठूँठों पर
ReplyDeleteखिलखिलाती गज़ल लिखना,
वनपखेरू बींधते आखेटकों का
प्रकृति से अभिसार लिखना।..
वाह। जुदा विषय। जुदा अंदाज़। जुदा तब्सिरा। गहन चिंतन श्वेता जी
हरेक बंद में जीवन की परिस्थितियों को तल्ख़ी के साथ विचारोत्तेजक रचना में तब्दील किया है। अंतिम बंद तो ख़ास बन पड़ा है। कहीं व्यंग-मिश्रित छिड़की है तो कहीं वेदना की पराकाष्ठा को अभिव्यक्त करते भाव। मर्मस्पर्शी सृजन। लिखते रहिये। बधाई एवं शुभकामनाऐं।
ReplyDeleteसुन्दर !
ReplyDeleteवाह।
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