जीवन सिंधु की स्वाति बूँद
तुम चिरजीवी मैं क्षणभंगुर,
इस देह से परे मन बंधन में
मादक कुसुमित तेरा साथ प्रिय।
पल पल स्पंदित सम्मोहन
दृग छू ले तो होती सिहरन,
विह्वल उर की व्याकुलता
अंतस तृप्ति तेरा साथ प्रिय।
अव्यक्त व्यक्त भावों का गीत
विस्मृत स्वप्नों के तुम मनमीत,
कंटक से भरे जीवन पथ पर
मृदु मोरपंखी तेरा साथ प्रिय।
स्वर्ण मृग जग छलती माया में
क्षण क्षण मिटती इस काया में,
निशि कानन के विस्तृत अंचल
रवि किरणों सा तेरा साथ प्रिय।
श्वेता🍁
बेहतरीन रचना
ReplyDeleteमन को छूती हुई
बहुत बहुत आभार आपका लोकेश जी।
Deleteजीवन सिंधु की स्वाति बूँद
ReplyDeleteतुम चिरजीवी मैं क्षणभंगुर,
इस देह से परे मन बंधन में
मादक कुसुमित तेरा साथ प्रिय।
बहुत ही ख़ूबसूरत रचना। स्पंदित सम्मोहन जगाती कुसमित कलमकारी। वाह
बहुत बहुत आभार आपका अमित जी।
Deleteवाह!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका विश्वमोहन जी।
Deleteशुभ संध्या
ReplyDeleteआभार
सादर
शुभ संध्या दी,
Deleteखूब सारा आभार आपका।
वाह !
ReplyDeleteसमर्पण का सौम्यता से परिपूर्ण चित्रण।
विकृत भावों के जलते परिवेश में हमारे एहसासों से गुज़रती एक ठंडी फुहार-सी ख़ूबसूरत रचना।
सौभाग्य और प्रेम के पर्व करवा चौथ की पूर्व संध्या पर एक-दूजे के लिए धड़कते दिलों को अनुपम उपहार है आपकी रचना।
सुंदर सृजन।
बधाई एवं शुभकामनाऐं।
अति आभार आपका रवींद्र जी।तहेदिल से शुक्रिया बहुत सारा।
Deleteअव्यक्त व्यक्त भावों का गीत
ReplyDeleteविस्मृत स्वप्नों के तुम मनमीत,
कंटक से भरे जीवन पथ पर
मृदु मोरपंखी तेरा साथ प्रिय।
लाजवाब रचना....
वाह!!!
अद्भुत ,अविस्मरणीय....
बहुत बहुत आभार शुक्रिया बहुत सारा सुधा जी।
Deleteआपकी सराहनीय पंक्तियाँ बहुत उत्साह बढ़ा गयी।
स्वर्ण मृग जग छलती माया में
ReplyDeleteक्षण क्षण मिटती इस काया में,
निशि कानन के विस्तृत अंचल
रवि किरणों सा तेरा साथ प्रिय।
वा...व्व..बहुत सुंदर लजबाब रचना!
बहुत बहुत आभार आपका ज्योति जी।तहेदिल से शुक्रिया बहुत सआरा।
Deleteअति सुंदर!प्रेम का सम्मोहक रूप. बहुत सुंदर वाक्य विन्यास. सादर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका अपर्णा जी।तहेदिल से शुक्रिया।
Deleteश्वेता जी ऊपर दी गई टिप्पणी में टंकण अशुद्धि हो गई थी और एक त्रुटि को ठीक करने के फेर में दूसरी ..., कहना यही है कि रचना बेहद खूबसूरत भाव संजोये है .😃
ReplyDelete😊😊जी ,आभार आपका मीना जी।तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।
Deleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteबहुत आभार रितु जी।
Deleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteमन को छूती हुई बेहतरीन रचना
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 18 फरवरी 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteप्रियतम को समर्पित प्रणय का अद्भुत गान !!!!!!!!
ReplyDeleteअव्यक्त व्यक्त भावों का गीत
विस्मृत स्वप्नों के तुम मनमीत,
कंटक से भरे जीवन पथ पर
मृदु मोरपंखी तेरा साथ प्रिय।---
बहुत ही प्यारी रचना श्वेता बहन | मेरा प्यार बस !!
वाह श्वेता जी ! मन को मोरपंखी सा छूकर आल्हादित करती बहुत ही कोमल स्निग्ध रचना ! अति सुन्दर !
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