Pages

Friday, 8 December 2017

हाँ मैं ख़्वाब लिखती हूँ


हाँ,मैं ख़्वाब लिखती हूँ
अंतर्मन के परतों में दबे
भावों की तुलिका के
नोकों से रंग बिखेरकर
शब्द देकर 
मन के छिपे उद्गगार को
मैं स्वप्नों के महीन जाल
लिखती हूँ।

श्वेत श्याम भावों के
स्याह-उजले रंग से 
पोते गये हृदय के
रंगहीन दीवारों पर
सजाकर चटकीले रंगों को
बनाये गये 'मुखौटे'के भीतर कैद
उन्मुक्त आकाश की उड़ान,
ललचाई आँखों से 
चिडि़यों के खुले पंख देखती
आँखों के सारे 
मैं राज़ लिखती हूँ।

शून्य में तैरते बादलों के परों से
चाँद के पथरीले जमीं पर
चाँदनी के वरक लगाकर
आकाशगंगा की गहराई में उतर
झुरमुटों के जुगनू के जाले देखती
मौन पेड़ों से बतियाते 
चकोर की व्यथा की दर्द भरी
मैं तान लिखती हूँ।

यथार्थ की धरातल पर खड़ी
पत्थरों की इमारतों के
सीने में मशीन बने 
स्पंदनहीन इंसानों के 
अंतर के छुपे मनोभावों के
बूँद-बूँद कतरों को
एहसास की मोतियों में पिरोकर
मैं अनकहा हाल लिखती हूँ।

चटख कलियों की पलकों की
लुभावनी मुस्कान 
वादियों के सीने से लिपटी 
पर्वतशिख के हिमशिला में दबी
धड़कते सीने के शरारे से
पिघलती निर्मल निर्झरी
हर दिल का पैगाम सुनती हूँ
हाँ,मैं ख्वाब लिखती हूँ।

#श्वेता🍁


48 comments:

  1. सच, आपकी कविता भावो की अनुपम तूलिका होती है जिसमें आप चुन चुन कर शब्दों के रंग बिखेरती हैं.
    हर कविता सजग कलाकार की उत्कृष्ट कला का प्रतीक होती है .
    आप हमेशा ऐसे ही लिखती रहें और आज के साहित्य को समृद्ध करती रहें.
    शुभकामनायें
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका.अपर्णा जी,आपकी स्नेहासिक्त प्रतिक्रिया लेखनी में नयी ऊर्जा भर गयी। तहेदिल से शुक्रिया आपका बहुत सारा।

      Delete
  2. हाँ,मैं ख़्वाब लिखती हूँ
    अंतर्मन के परतों में दबे
    भावों की तुलिका के
    नोकों से रंग बिखेरकर
    शब्द देकर
    मन के छिपे उद्गगार को
    मैं स्वप्नों के महीन जाल
    लिखती हूँ।
    आपकी सुदृढ लेखनी से निकली इस नायाब रचना से मन आह्लादित हो गया। सदा निर्मल धार निकलती रहे आपके लेखनी से। बधाई।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी,आदरणीय p.k ji,
      आपकी सराहना और उत्साह बढ़ाती प्रतिक्रिया ने मन मुदित कर दिया सदैव आभारी रहेगे आपके निरंतर सहयोग के लिए।

      Delete
  3. खूब उडाओ स्वेत कबूतर
    तुम निंदिया संग ख्वाबो मे
    मन के पाँखी आज उडो तुम
    आकाशो के सागर मे
    पर ख्वाबो मे जाओ तुम
    झोपडियो के आंगन मे
    जहाँ मिलेगी ममता रोती
    दर्द दबाये सीने मे
    इक बूंद दूध के प्यासे बच्चे
    रोते देखो आंगन मे
    दो आमंत्रण आज आँसूओ को
    तुम भी अपनी आँखो मे
    खूब उडाओ - - -

    ReplyDelete
    Replies
    1. प्रणाम चाचाजी,
      सादर नमन।
      आपकी लेखनी से सतत प्रवाहित आशीष मिला,अत्यंत प्रसन्नता हुई।
      आभार,तहेदिल से शुक्रिया आपका।

      Delete
  4. बेहद खूबसूरत भावों कों शब्दों की माला में पिरोती हैं आप. लाजवाब और बेहतरीन रचना‎ श्वेता जी .

    ReplyDelete
    Replies
    1. अति आभार आपका मीना जी,तहेदिल से बहुत शुक्रिया आपका।

      Delete
  5. अच्छा शब्चित्र खींचा है आपने

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका संजय जीः

      Delete
  6. अन देखे अन कहे अहसासों को महसूस करती हूं,
    हृदय स्पंदन से हर हाल लिखती हूं।

    हां सच यह लेखनी शब्द नही चित्र लिखती है निर्जीव नही सजीव साकार लिखती है।
    अतुलनीय सुंदर काव्य मर्मज्ञ और सार्थक।
    शुभ संध्या।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत आभार दी,आपने सदैव बहुत मनोबल बढ़ाया है आपके स्नेह आशीष और सहयोग के बिना ये सब कभी संभव नहीं था। कृपया,अपनी छत्रछाया बनाये रखें दी।

      Delete
  7. आपने भावों को बहुत उम्दा शब्दों का वसन दिया है.
    बधाई.

    ReplyDelete
    Replies
    1. अति आभार आपका आदरणीय रंगराज सर,तहेदिल से बहुत शुक्रिया आपके आशीष का।

      Delete
  8. बहुत खूबसूरत शब्दों का जाल... बधाई हो स्वेता जी आपकी हर रचना खुद में सम्मोहन समेटे हुए है। जितना भी पढ़ती हुं और ज्यादा कविता की गहराई में उतरती चली जाती हुं।

    ReplyDelete
    Replies
    1. प्रिय अनु जी,आपके नेह के लिए आभार कैसे कहे,आपकी प्रतिक्रिया किसी भी रचनाकार की लेखनी में जोश भरने में कामयाब है।
      आपका साथ बना रहे यही कामना है।
      अति आभार एवं तहेदिल से शुक्रिया आपका।

      Delete
  9. बेहद खूबसूरत

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका रिंकी जी।

      Delete
  10. प्रिय श्वेता जी -- ख्वाबों की खूबसूरत इबारत का आपसे बढ़कर कोई चितेरा कहाँ ? हार्दिक शुभकामना

    ReplyDelete
    Replies
    1. प्रिय रेणु जी,
      अति आभार आपका तहेदिल से शुक्रिया।
      ख़्वाब रचना तब भी आसान है शायद ख़्वाब पूरे से।

      Delete
    2. प्रिय श्वेता बहन इन ख्वाबों की ताबीर हो --यही दुआ है |

      Delete
  11. अनूठा ख्वाब लिखते रहें हम ख्वाब की इस धारा में गोता लगाते रहेंगे। सुंदर रचना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार एवं.तहेदिल से शुक्रिया आपका p.k ji.आपका बहूमूल्य साथ बना रहे।

      Delete
  12. Replies
    1. अत्यंत आभार एनं तहेदिल से शुक्रिया सर।

      Delete
  13. नायाब रचना
    गहराई में उतरती बेहद खूबसूरत रचना
    शुभकामना

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार एवं तहेदिल से शुक्रिया आपका नीतू जी।

      Delete
  14. आप खुबसूरत ख्वाब लिखती हैं....जब जांगु तो हर शुं इन ख्वाबो के रेशे नजर आते हे ...युं ही कलम का जादुई बनाएं रखें.... शुभ दिवस।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार एधं तहेदिल से शुक्रिया आपका अनु जी।

      Delete
  15. बेहतरीन कविता
    एक एक लफ्ज़ दिल की गहराई में उतरता जाता है

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार एधं तहेदिल से.शुक्रिया आपका लोकेश जी।

      Delete

  16. वाह ! अति सुंदर !
    ख़्वाब की भावभूमि और जीवन से उनका सरोकार स्पष्ट करती उत्कृष्ट रचना। ख़्वाब चाहे जागते हुए देखें जाएँ या सोते हुए बस ख़्वाब तो ख़्वाब हैं जोकि जीवन को कहीं न कहीं प्रभावित करते हैं।
    ख़्वाब जीवन में गति और उल्लास के आलंबन हैं इसलिए ख़्वाबों के बिना जीवन अधूरा-सा है। केवल ख़्वाब ही जीवन में सब कुछ नहीं होते लेकिन इनके परे जीवन ख़ाली-सा लगता है। साहित्य में ख़्वाबों को पर्याप्त स्थान मिला है। जीवन में अनुभूति और स्पंदन ख़्वाब के साथ मिलकर हमें ऊर्जावान बनाये रखते हैं और ज़िन्दगी ने ताज़गी और रंग से भरा सुकून सजाये रखते हैं। ख़्वाब के भरम और हक़ीक़त संसार को बताने लिखते रहिये ख़ूब जीभर कर ख़्वाब.....
    बधाई एवं शुभकामनाऐं श्वेता जी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीय रवींद्र जी,
      आपकी प्रतिक्रिया सदैव सही राह दिखलाती है। आपके बहूमूल्य सुझाव और ऊर्जावान प्रतिक्रिया का साथ निरंतर बना रहे यही कामना करती हूँ।
      बहुत बहुत आभार एवं शुक्रिया आपका तहेदिल से,आपकी शुभकामनाएँ सदैव अपेक्षिय है।

      Delete
  17. वाह ! सुंदर ! अति सुंदर प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. अति आभार आपका सर,तहेदिल से.शुक्रिया बहुत सारा।

      Delete
  18. Replies
    1. बहुत बहुत आभार एवं तहेदिल से शुक्रिया आपका ओंकार जी।

      Delete
  19. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/12/47.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय राकेव जु,तहेदिल से शुक्रिया आपका।

      Delete
  20. ख्वाब लिखते रहें....ऐसी ही खूबसूरत रचनाओं के रूप में ! अनूठा शब्द शिल्प है आपका । रचना स्वयं मूर्त रूप होकर सामने आ खड़ी होती है ! शुभकामनाएँ श्वेता जी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार एवं हृदयतल से अत्यंत शुक्रिया आपका मीना जी,आपकी सुंदर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया ने मन.प्रसन्न कर दिया कृपया साथ बनाये रखे सदैव।सस्नेह

      Delete
  21. बेहद ही खूबसूरत रचना। मैने इसे कई बार पढा।
    "...आँखों के सारे
    मैं राज़ लिखती हूँ।"
    वाह!

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार एवं हृदयतल से शुक्रिया आपका प्रकाश जी।

      Delete
  22. मित्र-मंडली के एक सदस्य ने आपकी रचना को अपनी टिप्पणी विशेष उल्लेख किया है। पढ़ने के लिए लिंक क्लिक करें।
    https://plus.google.com/107907174747489535648/posts/YwyymS3mM1g

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका राकेश जी।

      Delete
  23. अति आभार आपका आदरणीय सर,आपके प्रोत्साहन के लिए। सदैव आपके आशीष का प्रसाद मिलता रहे यही कामना है।

    ReplyDelete
  24. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 18 फरवरी 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  25. कमाल के ख्वाब लिखती हैं आप श्वेता जी !
    बहुत ही सुन्दर ,लाजवाब....
    वाह!!!

    ReplyDelete

आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।