भाँति-भाँति के फूल खिले हैं रंग-बिरंगी लगी फुलवारी।
लाल,गुलाबी,हरी-बसंती महकी बगिया गुल रतनारी।।
स्वर्ण मुकुट सुरभित वन उपवन रंगों की फूटे पिचकारी।
ओढ़़ के मुख पर पीली चुनरी इतराये सरसों की क्यारी।।
आम्र बौर महुआ की गंध से कोयलिया कूहके मतवारी।
मधुरस पीकर मधुकर झूमे मधुस्वर गुनगुन राग मनहारी।।
रश्मिपुंजों के मृदु चुंबन पर शरमायी कली पलक उघारी।
सरस सहज मनमुदित करे बाल-विहंगों की किलकारी।।
ऋतुओं जैसे जीवन पथ पर सुख-दुख की है साझेदारी।
भूल के पतझड़ बांह पसारो अब बसंत की है तैय्यारी।।
वाह....
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका दी:)
Deleteसादर।
वाह!!श्वेता जी ...ये तो सचमुच बसंत का आगमन हो गया!!!!
ReplyDeleteजी शुभा दी...बसंत का आगमन हो गया है।
Deleteआभार आपका बहुत सारा।
बेहतरीन
ReplyDeleteशानदार रचना
बहुत बहुत आभार आपका लोकेश जी।
Deleteशुक्रिया।
बहुत बहुत बहुत ज्यादा सुंदर !
ReplyDeleteक्या शब्द चयन है ! वाह ! बार बार पढ़ने को मन चाहे ऐसी सुंदर कविता .
बहुत बहुत आभार आपका मीना जी।आपकी ऊर्जा से भरपूर प्रतिक्रिया ने उत्साह का संचरण कर दिया। बहुत शुक्रिया सस्नेह।
Deleteउत्तम.
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका रंगराज सर।
Deleteबहुत दिनों बाद आपकी प्रतिक्रिया मिली।
आभार
सादर।
बसंत पर पडी नजर
ReplyDeleteबसंत खिल गया
महिमा बढ़ी बसंत की
वो शब्द मिल गया
क्या बात ...बहुत खूब लिखा
बधाई रचना और बसंत दोनों की
बहुत बहुत आभार आपका प्रिय नीतू
Deleteआपकी सुंदर प्रतिक्रिया मुस्कान भर गयी।
तहेदिल से शुक्रिया आपका।
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'रविवार' २१ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteजी बहुत आभार आपका आदरणीय मेरी रचना को आपके मंच के लायक समझने के लिए...बहुत आभारी है आपकी सहृदयता के लिए।
Deleteसादर।
वाहह.. बहुत खूबसूरत बसंत से सराबोर हर पंक्तियाँ..👌
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका पम्मी जी। आपकी सराहना मन मुदित कर गयी।
Deleteसुन्दर शब्द रचना... बसंत की बयार सी सुमधुर मनभावन प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत... लाजवाब
वाह!!!
बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी। तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteबसंत प्राकृति के विभिन्न रंग और अनुपम सौंदर्य को शब्दों के माध्यम से जीवित कर दिया इन छंदों में ... सच है कि मौसम हमारे विभिन्न मूड का सटीक बयानी करती है ... सुंदर रचना ...
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका नासवा जी। तहेदिल से शुक्रिया,आपके द्वारा रचना सुंदर विश्लेषण बहुत अच्छा लगा।
Deleteबसंत की खूबसूरती को क्या बखुबी व्यक्त किया हैं, स्वेता। बहुत खूब।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ज्योति दी।
Deleteतहेदिल से शुक्रिया आपका।
अनुपम सौंदर्य का सटीक बयानी करती सुंदर रचना ...
ReplyDeleteबसंत पंचमी के आगमन और प्रेम के मनुहार का यह मौसम सुहावना होता है
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
हार्दिक शुभकामनाएं
सादर
वाह ! क्या कहने हैं ! लाजवाब !! बहुत खूब आदरणीया ।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत पंक्तियां
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