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Wednesday, 7 November 2018

आस का नन्हा दीप


दीपों के जगमग त्योहार में
नेह लड़ियों के पावन हार में
जीवन उजियारा भर जाऊँ
मैं आस का नन्हा दीप बनूँ

अक्षुण्ण ज्योति बनी रहे
मुस्कान अधर पर सजी रहे
किसी आँख का आँसू हर पाऊँ
मैं आस का नन्हा दीप बनूँ

खेतों की माटी उर्वर हो
फल-फूलों से नत तरुवर हो
समृद्ध धरा को कर पाऊँ
मैं आस का नन्हा दीप बनूँ 

न झोपड़ी महल में फर्क़ करूँ
कण-कण सूरज का अर्क मलूँ
तम घिरे तो छन से बिखर पाऊँ
मैं आस का नन्हा दीप बनूँ

फौजी माँ बेटा खोकर रोती है
बेबा दिन-दिनभर कंटक बोती है
उस देहरी पर खुशियाँ धर पाऊँ
मैं आस का नन्हा दीप बनूँ

जग माटी का देह माटी है
साँसें जलती-बुझती बाती है
अबकी यह तन ना नर पाऊँ
मैं आस का नन्हा दीप बनूँ

©श्वेता सिन्हा

sweta sinha जी बधाई हो!,

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धन्यवाद, शब्दनगरी संगठन

14 comments:

  1. बहुत सुंदर भाव। दीपोत्सव की अनंत शुभकामनाएँ प्रिय श्वेता। सस्नेह।

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    1. हृदयतल से सादर आभार दी:)
      ज्योति पर्व की मंगल शुभकामनाएँ आपको भी।
      सप्रेम।

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  2. दीप पर्व की मंगलकामनाएं। सुन्दर रचना।

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    1. हृदयतल से सादर आभार सर।
      दीपोत्सव की मंगल शुभकामनाएँ आपको भी।

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  3. आशा का संचार करती बहुत ही सुंदर रचना श्वेता। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।

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    1. हृदयतल से आभार ज्योति जी।
      दीपावली की मंगल शुभच्छायें आपको भी।

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  4. जग माटी का देह माटी है
    साँसें जलती-बुझती बाती है
    अबकी यह तन ना नर पाऊँ
    मैं आस का नन्हा दीप बनूँ... माटी के दिया का सुंदर उच्छावास!

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    1. हृदयतल से बेहद आभार आपका विश्वमोहन जी।
      दीपवली की अनंत शुभेच्छाएँ स्वीकार करें।
      स्नेहाशीष बना रहे।

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  5. बहुत उम्दा
    दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐

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  6. सकारात्मक सन्देश देती सुंदर कविता श्वेता जी .... दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं

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  7. दीपावली की हार्दिक बधाई.. बहुत सुंंदर आशाओं से भरी कविता..।

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  8. आशा और उम्मीद तो रौशनी और दीप के साथ जुड़ी है ...
    दीपावली भी भी ऐसा ही त्यौहार है ...
    बहुत ही सकारात्मन रचना .... कमाल की रचना ....

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  9. अंतस तक एक असीम शांति की लहर व्याप्त हो गई ऐसा शुभ्र भावों वाला सरस काव्य पढ कर, श्वेता आप की कलम में जादुई प्रवाह है,और शब्द विन्यास अतुलनीय ,सदा यूंही शबदों का तिलिस्म बिखेरते रहो ।
    अप्रतिम अद्भुत।

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  10. वाह!!खूबसूरत भावों से सजी रचना !!

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