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Saturday, 10 November 2018

रंग मुस्कुराहटों का


उजालों की खातिर,अंधेरों से गुज़रना होगा
उदास हैं पन्ने,रंग मुस्कुराहटोंं का भरना होगा

यादों से जा टकराते हैंं इस उम्मीद से
पत्थरों के सीने में मीठा कोई झरना होगा

उफ़नते समुंदर के शोर से कब तक डरोगे
चाहिये सच्चे मोती तो लहरों में उतरना होगा

हर सिम्त आईना शहर में लगाया जाये
अक्स-दर-अक्स सच को उभरना होगा

मुखौटों के चलन में एक से हुये चेहरे
बग़ावत में कोई हड़ताल न धरना होगा

सियासी बिसात पर काले-सादे मोहरे हम
वक़्त की चाल पर बे-मौत भी मरना होगा

©श्वेता सिन्हा

23 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 10/11/2018 की बुलेटिन, " सेर पे सवा सेर - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. वाह बहुत ही बेहतरीन रचना

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  4. वाह!!श्वेता ,बेहतरीन !!!

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  5. वाह क्या कहने !
    नसीहत और हौंसला देती अप्रतिम रचना साथ ही आम व्यक्ति की पीडा ....
    मुखौटों के चलन में एक से हुये चेहरे
    बग़ावत में कोई हड़ताल न धरना होगा

    सियासी बिसात पर काले-सादे मोहरे हम
    वक़्त की चाल पर बे-मौत भी मरना होगा ।
    बहुत सुंदर बहुत सटीक ।

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  6. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/11/95.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  7. वाह ....अप्रतिम रचना

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  8. सच्चे मोती गहरे उतर कर ही मिलते हैं ...
    और उजाले अँधेरा पार कर के ही मिलते हैं ... बहुत ही लाजवाब शेर हैं सभी श्वेता जी ...

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  9. वाह क्या बात है ! बहुत ही सुन्दर !

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  10. उफ़नते समुंदर के शोर से कब तक डरोगे
    चाहिये सच्चे मोती तो लहरों में उतरना होगा


    वाह क्या बात हैं बहुत ही लाज़वाब।
    हर एल शेर एक से बढ़कर एक हैं।बहुत गहरे मायने छुपे है हर शेर में।
    पढ़कर बहुत अच्छा लगा।आभार

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  11. वाह !!बहुत खूब सखी 👌

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  12. उफ़नते समुंदर के शोर से कब तक डरोगे
    चाहिये सच्चे मोती तो लहरों में उतरना होगा
    वाह!!!
    कमाल की गजल...
    बहुत ही लाजवाब

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  13. वाह !!! हर एक पंक्ति, हर एक शेर तारीफ का हकदार है। बहुत सुंदर !!!

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  14. कमाल की गजल ..अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं !

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  15. अतिसुन्दर.........!!!!

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  16. This comment has been removed by the author.

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  17. सुंदर रचना हमेशा की तरह प्रिय श्वेता | पढती तो रहती हूँ और आपके ब्लॉग पर आई भी कई बार पर लिख ना पाई | रचना का स्तर देख निशब्द हो जाती हूँ | ये रचना भी ऐसी ही है जिसके लिए बस मेरा प्यार |

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।